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श्रीनगर: बीते कल जम्मू के बडगाम के चदूरा में तहसील कार्यालय के भीतर घुस कर आतंकवादियों ने राजस्व विभाग के कर्मचारी और कश्मीरी पंडित राहुल भट की गोली माकर कर हत्या कर दी। इस हादसे में बुरी तरह जख्मी होने के बाद राहुल ने दम तोड़ दिया। ये बड़े अजीब इत्तेफाक की बात है कि जिस आतंकवाद से बचने के लिए राहुल भट के परिवार ने 30 सालों पहले घाटी छोड़ दी थी, वो अब तक उनके इंतजार में ताक लगाए बैठा था। राहुल अपने पीछे अपने रोते-बिखलते परिवार को छोड़ गए। आज सुबह उनका अंतिम संस्कार के बंतालाब में किया गया।
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के हाथों मारे गए कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या के बाद घाटी में लोगों का गुस्सा भड़का हुआ है। हर कोई कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा की मांग कर रहा है। ऐसा लग रहा है मानो 30-32 सालों के बाद भी कश्मीर में पंडित सुरक्षित नहीं है। मृतक राहुल भट की पत्नी मिनाक्षी भट का रोते-रोते बुरा हाल हो गया है। राहुल अपने पीछे अपनी छोटी सी 5 साल की बेटी को भी छोड़ गए हैं। राहुल की मां कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हैं। पिता का भी बहुत बुरा हाल हो गया है। राहुल भट की पत्नी मिनाक्षी भट ने कहा, कश्मीर में पंडितो को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। साल 2010 से ही नौकरी के लिए गए कश्मीरी पंडित आतंकियों के निशाने पर हैं। मिनाक्षी ने कहा कि जिला कलेक्टर से राहुल ने तबादले के लिए कई बार अनुरोध किया, लेकिन उनकी कभी नहीं सुनी गई। आज उनका तबादला हो जाता तो शायद ये दिन देखना नहीं पड़ता।
मिनाक्षी भट ने बताया कि मेरी 10 मिनट पहले ही उनसे बात हुई थी। मुझे नहीं पता था कि आतंकवादी उन्हें गोली मार देंगे। जब फोन आया तो मुझे पहले से ही अंदेशा हो गया था कि इनको कुछ हो गया है। मिनाक्षी ने कहा कि मुझे बताया गया कि उन्हें कंधे पर गोली मारी गई है। ऐसे में पत्नी ने सोचा कि कोई बात नहीं बाजू चली जाएगी…उनके पैर चले जाते तो भी मैं सह लेती लेकिन वो तो इस दुनिया से ही चले गए। मुझे कुछ और नहीं चाहिए मैं बस ये चाहती हूं कि मेरे पति के हत्यारों को घसीट-घसीट कर मारा जाए।
राहुल भट के पिता ने कहा, मैं इस बात की गहन जांच चाहता हूं कि कैसे आतंकवादी एक सरकारी कार्यालय में घुस गए और मेरे बेटे की गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। सरकार घाटी में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की बात करती है, लेकिन उसके अपने पंडित कर्मचारी सरकारी दफ्तरों में सुरक्षित नहीं हैं।