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RECORD GST COLLECTION: साल 2022-23 की पहली तिमाही में जीएसटी कलेक्शन का रिकॉर्ड बना है। पहली तिमाही में औसत मासिक जीएसटी 1.51 लाख करोड़ रुपये का रहा है।
RECORD GST COLLECTION: चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में औसत मासिक जीएसटी 1 लाख 51 हजार करोड़ रुपये का रहा है। पिछले वित्त वर्ष में यह आँकड़ा 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपये का था। वित्त मंत्रालय ने कहाकि आर्थिक सुधार और जीएसटी चोरी रोकने से यह सफलता मिली है।
RECORD GST COLLECTION: वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह ने पांच साल में दूसरी बार रिकॉर्ड बनाया है। अप्रैल में 1.68 लाख करोड़ रुपये के बाद जून में 1.45 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड संग्रह रहा है। साथ ही लगातार चौथे महीने 1.40 लाख करोड़ रुपये के पार रहा।
अप्रैल में वित्त मंत्रालय ने कहाकि जून में मिला जीएसटी इसके पहले के हर जून महीने के संग्रह से ज्यादा रहा है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में औसत मासिक जीएसटी 1.51 लाख करोड़ रुपये रहा है। पिछले वित्तवर्ष में यह 1.10 लाख करोड़ रुपये औसतन था। मंत्रालय ने कहा कि आर्थिक सुधार और जीएसटी चोरी रोकने से यह सफलता मिली है।
दिल्ली का संग्रह जीएसटी 62 फीसदी बढ़कर 4,313 करोड़ रहा। राजस्थान का 56 फीसदी बढ़कर 3,386 करोड़ रुपये हो गया। आंकड़ों के अनुसार, लद्दाख और केरल में जीएसटी 118 और 116 फीसदी ज्यादा मिला। कर्नाटक में 73 और महाराष्ट्र राज्य में 63 फीसदी की वृद्धि रही।
उत्तर प्रदेश का जीएसटी संग्रह सालाना आधार पर 49 फीसदी बढ़ा है। इस साल जून में यह 6,835 करोड़ रहा, जो एक साल पहले इसी महीने में 4,588 करोड़ रुपये था।
जम्मू-कश्मीर का हिस्सा 24 फीसदी बढ़कर 372 करोड़, हिमाचल प्रदेश का हिस्सा 34 फीसदी बढ़कर 693 करोड़ हो गया। पंजाब का हिस्सा 51 फीसदी बढ़कर 1,683 करोड़ रुपये रहा।
चंडीगढ़ के जीएसटी में 41 फीसदी, उत्तराख़ंड में 82 फीसदी और हरियाणा में 77 फीसदी की बढोतरी रही।
गौर करें तो रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत के जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.3 फीसदी कर दिया है। पहले यह 7.8 फीसदी था। इसने कहा कि तेल की ऊंची कीमतें, निर्यात में धीमापन और महंगाई का असर विकास दर पर दिखेगा।
इसने क्रिसिल ने कहाकि कच्चे तेल की कीमतें अगले कुछ समय तक 105 से 110 डॉलर प्रति बैरल के बीच रह सकती हैं जो पिछले साल की तुलना में 35 फीसदी अधिक होगी। यह 2013 के बाद से सबसे ज्यादा कीमत है। इससे भारत का चालू खाता घाटा लगातार ऊंचा बना रहेगा। इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।