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Dollar vs Rupees: एक बात जरूर आपने भी अपने आसपास सुनी होगी कि एक रूपये की कीमत एक डॉलर के बराबर थी. मोदी भी चुनावी दौरे में इसको लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते रहे हैं. लेकिन, इस बात में कितनी सच्चाई है? इस बात को लेकर हम पूरी बात यहां पर बता रहे हैं.
हालांकि, इसमें तो शक नहीं कि भारत किसी समय में सोने की चिड़िया था. बाद में अलग-अलग जगहों से आए आक्राताओं ने भारत को दोनों हाथों से लूटा. 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो समृद्धि की एक नई यात्रा शुरू की गई. 1947 से पहले भारत आज की तरह एक देश न होकर अलग-अलग रियासतों में बंटा हुआ था. सभी रियासतों ने अपने हिसाब से करेंसी बनाई हुई थी. आजादी के बाद भारत की एक करेंसी लागू की गई, जिसे पूरे देश में स्वीकार किया गया.
आज की बात करें तो एक डॉलर की कीमत भारतीय करेंसी में 83 रुपये से ज्यादा है. पिछले कुछ वर्षों में डॉलर के मुकाबले रुपया की वैल्यू कम हुई है. ऐसा नहीं कि केवल भारतीय रुपये के मुकाबले ही डॉलर मजबूत हुआ है, बल्कि लगभग सभी देशों की करेंसी के सामने भी डॉलर की साख बढ़ी है. विदेश जाने वाले लोग अकसर एक ट्रिक अपनाते हैं. वे पहले रुपयों को डॉलर में कन्वर्ट करवा लेते हैं और बाद में उसे लोकल करेंसी में बदलवा लेते हैं. इससे उन्हें डॉलर की मजबूती का लाभ मिल जाता है.
1947 में कितनी थी रुपये की वैल्यू
भारत की आजादी के समय रुपया डॉलर के बराबर नहीं था. thomascook.in की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1947 में एक डॉलर 3.30 भारतीय रुपयों के बराबर था. 1949 आते-आते 4.76 रुपयों में एक डॉलर आने लगा. इसके बाद रुपया लगातार कमजोर तो डॉलर मजबूत होता चला गया. 1980 में एक डॉलर 7.86 भारतीय रुपयों की वैल्यू तक पहुंच गया तो 1990 में 17.01 रुपये तक. सन 2000 में एक डॉलर खरीदने के लिए भारत के 43.50 रुपये खर्च करने होते थे. जनवरी 2010 में यह रेट 46.21 रुपये तक ही पहुंच सका. इसके 10 साल बाद जनवरी 2020 में 70.96 रुपये में 1 डॉलर आने लगा. 16 अक्टूबर 2023 (इसी महीने) को 1 डॉलर की एक्सचेंज वैल्यू 83.28 रुपये थी.
1947 में आजादी से पहले की बात की जाए तो चूंकि भारत एक स्वतंत्र देश नहीं था और अमेरिका के साथ ट्रेड रेगुलटरी नहीं थी, तो रुपये बनाम डॉलर जैसी कोई चीज नहीं थी. रुपया अंग्रेजों द्वारा चलाई गई एक करेंसी थी. एक अलग तर्क दिया जाता है कि 1947 से पहले भारत ब्रिटिश राज्य के अधीन था तो रुपये की वैल्यू ज्यादा थी, क्योंकि ब्रिटिश पाउंड की वैल्यू भी अधिक थी.
डॉलर बनाम रुपये का इतिहास
1944 में दुनिया में पहली बार ब्रिटन वुड्स एग्रीमेंट पास हुआ था. इस एग्रीमेंट के तहत दुनिया की हर करेंसी का मूल्य निर्धारण होता था. 1947 (जब तक कि भारत आजाद हुआ) तक लगभग सभी देशों ने इस एग्रीमेंट को स्वीकार कर लिया और दुनियाभर में इसी के आधार पर मूल्य निर्धारण होने लगा.
यदि हम मॉडर्न मेट्रिक सिस्टम को समझें तो 1913 में डॉलर में भारतीय रुपये की कीमत 0.09 रुपये होनी चाहिए. और यदि हम 1 डॉलर = 1 भारतीय रुपये का तर्क भी रखें तो 1948 में यह वैल्यू 3.31 रुपये तक पहुंच गई. 1949 में 3.67 रुपये, और 1970 तक आते आते 7.50 रुपये तक जा पहुंची.
सोशल वेबसाइट कौरा (Quora) पर एक यूजर गिरी देव ने लिखा है कि उसके माता-पिता उसे बताते थे कि 1 रुपये में 25 किलोग्राम चावल खरीद सकते थे. हालांकि चावल की क्वालिटी और महंगाई समेत अन्य चीजों को ध्यान में रखते हुए चावल के जरिये इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता कि रुपये की वैल्यू डॉलर के बराबर थी.