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INS VIKRANT: INS विक्रांत इंडियन नेवी के हवाले; ये सिर्फ वॉरशिप नहीं, समंदर में तैरता शहर
INS VIKRANT: पीएम नरेंद्र मोदी ने देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत नेवी को सौंप दिया। उन्होंने नए नौसेना ध्वज का भी अनावरण भी किया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहाकि इस पर पहले गुलामी का प्रतीक था, जिसे हटा दिया है। नया नौसेना ध्वज शिवाजी को समर्पित है।
INS VIKRANT: पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत को नेवी को सौंपते वक्त मोदी ने एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने वाले इंजीनियर्स की तारीफ की और कहा- इस शिप में जितने केबल और वायर हैं, वो कोच्चि से काशी तक पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा कि INS विक्रांत सिर्फ वॉरशिप नहीं, समंदर में तैरता शहर है।
INS VIKRANT: पीएम मोदी साढ़े नौ बजे कोच्चि स्थित कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में पहुंचे थे। यहां उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन मौजूद थे।
INS VIKRANT: इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “ये भारतीयों के लिए गर्व का मौका है। ये भारत की प्रतिभा का उदाहरण है। ये सशक्त भारत की शक्तिशाली तस्वीर है। ये अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है। ये बताता है कि ठान लो तो कुछ भी असंभव नहीं है। हम आज नए सूर्य के उदय के साक्षी बन रहे हैं। इसमें जितनी बिजली पैदा होती है। उससे 5 हजार घरों को रोशन किया जा सकता है। ये दो फुटबॉल ग्राउंड के बराबर है। केबल और वायर कोच्चि से शुरू होकर काशी तक पहुंच सकते हैं। ये जटिलता हमारे इंजीनियर्स की जीवटता का उदाहरण हैं।”
INS VIKRANT: मोदी ने कहा- शिवाजी की समुद्री ताकत से दुश्मन कांपते थे। आज मैं नौ सेना नया ध्वज छत्रपति वीर शिवाजी महाराज को समर्पित करता हूं। ये नया ध्वज नौसेना के बल और आत्मसम्मान को बल देगा। अब तक नौसेना के झंडे पर गुलामी की तस्वीर थी। इस तस्वीर को हमने हटा दिया है।
INS VIKRANT: पीएम मोदी ने कहा- विक्रांत विशाल है, ये खास है, ये गौरवमयी है। ये केवल वारशिप नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के कठिन परिश्रम, कौशल और कर्मठता का सबूत है। आज भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो अपनी तकनीक से ऐसे बड़े जहाज बना सकते हैं। आज INS विक्रांत ने भारतीयों को नए भरोसे से भर दिया है।
बता दें कि इंडियन नेवी को शुक्रवार को नया नौसेना ध्वज यानी निशान मिला। इसमें पहले लाल क्रॉस का निशान होता था। इसे हटा दिया गया है। अब बाईं ओर तिरंगा और दाईं ओर अशोक चक्र का चिह्न है। इसके नीचे लिखा है- शं नो वरुण: यानी वरुण हमारे लिए शुभ हों।
गौर करें तो 31 जनवरी 1997 को नेवी से INS विक्रांत को रिटायर कर दिया गया था। अब तकरीबन 25 साल बाद एक बार फिर से INS विक्रांत का पुनर्जन्म हो रहा है। 1971 की जंग में INS विक्रांत ने अपने सीहॉक लड़ाकू विमानों से बांग्लादेश के चिटगांव, कॉक्स बाजार और खुलना में दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर दिया था।
बता दें कि INS विक्रांत देश में निर्मित सबसे बड़ा युद्धपोत है। ये एयरक्राफ्ट कैरियर 20 मिग-29 फाइटर जेट्स ले जाने में सक्षम है। इसकी लागत 20 हजार करोड़ रुपए है। 1971 की जंग में INS विक्रांत ने अपने सीहॉक लड़ाकू विमानों से बांग्लादेश के चिटगांव, कॉक्स बाजार और खुलना में दुश्मन के ठिकानों को तबाह किया था।