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Monetary Policy: रिजर्व बैंक ने फिर अपनी मौद्रिक नीति का ऐलान कर दिया। इस ऐलान से रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
Monetary Policy: रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति के ऐलान से पहले आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ग्लोबल महंगाई पर चिंता व्यक्त की। इसके बाद उन्होंने रेपो रेट को 0.50 फीसद बढ़ाने का ऐलान किया। रेपो रेट अब 4.90 से बढ़कर 5.40 फीसद पर पहुंच गया। गवर्नर दास ने यह भी कहा कि समिति ने सर्व सम्मति से यह फैसला लिया है।
Monetary Policy: रेपो रेट में बढ़ोतरी से आपकी लोन की किस्त बढ़ जाएगी। इससे होम लोन , ऑटो लोन और पर्सनल लोन की किस्त में भी बढ़ोतरी होगी। अगर आपका होम लोन 30 लाख रुपये का है और अवधि 20 साल की है तो आपकी किस्त 24,168 रुपये से बढ़कर 25,093 रुपये पर पहुंच जाएगी।
Monetary Policy: बता दें कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में किए गए निर्णय को बताते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ”एमपीसी ने आम सहमति से रेपो दर 0.5 फीसदी बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।” उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है और इसे नियंत्रण में लाना जरूरी है।
दास ने कहा, ” मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का भी फैसला लिया है।” रिजर्व बैंक ने सामान्य मानसून और कच्चे तेल का दाम 105 डॉलर प्रति बैरल पर रहने की संभावना के आधार पर वित्त वर्ष 2022-23 के लिये के मुद्रास्फीति अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है। हालांकि अप्रैल के मुकाबले महंगाई में कमी आई है। ग्रामीण मांग में सुधार दिख रही है। FY2023 के पहले क्वार्टर में GDP ग्रोथ 16.2 फीसद रहने की उम्मीद है। चुनौतियों के बावजूद जीडीपी ग्रोथ 7.2 पर बरकरार है।
उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 4.65 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.15 प्रतिशत की। वित्तीय क्षेत्र में पर्याप्त पूंजी। वैश्विक घटनाक्रमों के प्रभाव से विदेशी मुद्रा भंडार बचाव कर रहा है।
Monetary Policy: बता दें आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए चालू वित्त वर्ष में अब तक रेपो दर को दो बार बढ़ाया गया था-मई में 0.40 प्रतिशत और जून में 0.50 प्रतिशत। यह तीसरी बार है, जब रेपो रेट बढ़ाया गया है। इससे पहले रेपो रेट 4.9 प्रतिशत था, जो कोविड-पूर्व के स्तर 5.15 प्रतिशत से नीचे था।
Monetary Policy: अब जानिए रेपो रेट- बैंक हमें लोन देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट बढ़ते ही बैंक अपनी ब्याज दर बढ़ा देते हैं और कर्ज महंगा हो जाता है।