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Nagvanshi Raja: 52 तालाब और 53 बगीचों वाला खुखरागढ़ था नागवंशीय राजाओं की राजधानी
Nagvanshi Raja: झारखंड की राजधानी रांची से 47 किलोमीटर दूर बेड़ो प्रखंड के ऐतिहासिक खुखरागढ़ की अपनी अलग धार्मिक पहचान है। रांची, लोहरदगा और गुमला जिले के सीमा पर स्थित खुखरा कभी नागवंशी राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। आज भी यहां पर सैलानी घूमने आते हैं। नागवंशी राजाओं की कहानियों को सुनते हैं। 52 तालाब और 53 बगीचों वाला खुखरागढ़ 17 नागवंशीय राजाओं की राजधानी रह चुका है। इनके कुल देवता मुड़हर बाबा हैं, जो खुखरागढ़ में हैं। क्षेत्र के लोगों द्वारा ग्राम देवता के रूप में इनकी पूजा की जाती है।
पहाड़ की चोटी पर गुफा में विराजमान हैं मुड़हर बाबा
Nagvanshi Raja: रांची जिले के बेड़ो प्रखंड मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस जगह को आज खुखरा के नाम से जाना जाता हैं। अंग्रेजी हूकुमत के दौरान खुखरा प्रांगण के नाम से जाना जाता था। मुड़हर बाबा पहाड़ की चोटी में एक गुफा है, उसी में मुड़हरबाबा विराजमान हैं। श्रद्धालुओं द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है। यहां श्रद्धालु हर मुसीबत से बचने के लिए और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। विशेषकर सावन में पूरे महीने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। तब यहां मेले का दृश्य होता है। शिवरात्रि में अखंड हरिकीर्तन के साथ खुखरागढ़ महोत्सव एवं भंडारा का आयोजन होता है।
ढुलवा तालाब में स्नान करतीं थीं रानियां
Nagvanshi Raja: खुखरा पहाड़ के पूर्व की ओर ढुलवा तालाब स्थित है। तालाब के सामने 14वीं सदी का निर्मित शिव मंदिर है। शिव मंदिर प्रांगण में सूर्य, बाएं हाथ का पंजा और चंद्रमा की एक ही जगह नक्काशी की हुई है, जो किसी चीज के बारे में संकेत करती है। ढुलवा तालाब को नागवंशी रानियों के स्नान करने के लिए बनाया गया था। इसमें स्नान करने के लिए झूला का प्रयोग किया जाता था। इस कारण इस तालाब का नाम ढुलवा रखा गया। वहीं, पहाड़ से दक्षिण की ओर हैथबंधवा तालाब स्थित है। इसमें नागवंशीय राजाओं के हाथी पानी पीते थे और हाथियों को रहने का जगह बना हुआ था। इस कारण इस तालाब का नाम हैथबंधवा पड़ा। पहाड़ के पश्चिम की ओर रानी रूखमिन के नाम से रूखमिन सागर तालाब था।
Nagvanshi Raja: मुड़हर बाबा मंदिर के पुरोहिताइन 65 वर्षीय साबित्री देवी कहतीं हैं कि नगवंशीय राजा फनीमुकुट राय के वंशज राजा भीम कर्ण राय की रानी रूखमिन के नाम पर रूखमिन तालाब नाम पड़ा है। पहाड़ के उत्तर की ओर राजा भीम सागर तालाब स्थित है, जो खुखरागढ़ राजधानी के प्रथम राजा भीम कर्ण राय के नाम से पड़ा। राजा कर्ण राय रांची के चुटिया से आकर खुखरागढ़ में बसे और इसे अपना राजधानी बनाया था।
पहाड़ की चोटी को सुरक्षा चौकी के रूप में इस्तेमाल करते थे सैनिक
Nagvanshi Raja: मुड़हर बाबा पहाड़ की चोटी इतनी ऊंची है कि यहां पहुंचने पर दूर-दूर तक नजर आता है। इसे नागवंशीय राजाओं की सुरक्षा में लगे सैनिक छावनी के रूप में प्रयोग करते थे। चोटी तक पहुंचने के लिए 440 सीढ़ियां बनी हुई हैं। चोटी पर पहुंचने से प्रकृति का मनमुग्ध मनोरम छटा नजर आता है। चोटी से गुमला जिला के पारस जलाशय, लोहरदगा जिला के नंदनी जलाशय, बेड़ो से तीन किलोमिटर दूर स्थित हरिहरपुर जामटोली पहाड़ साफ नजर आता है। चोटी पर पहुंचकर पूजा-अर्चना के बाद मन को अद्भुत शांति मिलती है।
पुरातात्विक विभाग की खुदाई में मिले नागवंशीय राजाओं के चिह्न
Nagvanshi Raja: 2007 में तत्कालीन कला संस्कृति मंत्री बंधु तिर्की ने पुरातात्विक विभाग के द्वारा खुखरागढ़ में नागवंशी राजाओं का इतिहास जानने के लिए पहाड़ की तलहटी में खुदाई कराई थी। इसमें नागवंशीय राजाओं का शिव मंदिर, महल की दीवार, पानी सोखता गड्ढा, टूटे बर्तन, मिट्टी के आभूषण और मंदिर का अमलक, त्रिशूल, भारी मात्रा में मुगलकालीन सिक्का मिला। खुदाई से मिली दीवार की ईंटें एक इंच मोटी और 10 ईंच चौड़ी हैं। दीवारों पर नाग के फन के सामान धातु का बना हुआ नागवंशीय प्रतीक चिह्न मिला। ईंटों की सुर्खी चूने से जोड़ाई की गई थी।