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OPPOSITION PRESIDENT CANDIDATE RACE: शरद पवार के बाद फारुक अब्दुल्ला भी पीछे हटे
विपक्ष को राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए नहीं मिल रहा है कैंडिडेट
OPPOSITION PRESIDENT CANDIDATE RACE: देश के अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए शरद पवार के बाद अब फारुक अब्दुल्ला भी अपनी उम्मीदवारी से पीछे हट गए हैं। वहीं बीजेपी भी अभी तक अपना उम्मीदवार तय नहीं कर पाए।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष को एक साझा उम्मीदवार नहीं मिल पा रहा है। पहले टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में 17 दलों ने बैठक कर सर्वसम्मति से एक एक कैंडिडेट तय करने की कोशिश की थी। इस बैठक में एनसीपी प्रमुख शरद पवार से उम्मीदतवार बनने की अपील की गई थी। लेकिन शरद पवार ने मैदान में उतरने से इनकार कर दिया।
OPPOSITION PRESIDENT CANDIDATE RACE:उसके बाद विपक्ष ने प्रेसीडेंट के संयुक्त उम्मीदवार के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारुक अब्दुल्ला के नाम पर चर्चा की। विपक्ष ने सहमति के साथ फारुक के नाम को आगे बढ़ाया। मगर अब्दुल्ला ने प्रस्ताव का स्वागत करते हुए उम्मीदवार बनने से मना कर दिया। फारुख अब्दुल्ला ने इस बात पर जोर दिया कि अभी जम्मू-कश्मीर को उनकी ज़रूरत है। और जम्मू कश्मीर और देश के लिए काम करना है।
OPPOSITION PRESIDENT CANDIDATE RACE:उधर अब चर्चा है कि विपक्ष महात्मा गाँधी के पोते और पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गाँधी पर दाँव आजमाना चाह रहा है। इसके लिए सर्वसम्मति बनाए जाने की कोशिश की जा रही है। विपक्ष का कहना है कि 21 जून तक साझा उम्मीदवार तय कर लिया जाएगा।
बता दें कि चुनाव आयोग ने प्रेसीडेंट इलेक्शन के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होगा और 21 जुलाई को चुनाव के नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे। साथ ही 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह होगा।
उधर बीजेपी की ओर से राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी चल रही है। इसके लिए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को चुनाव प्रभारी बनाया गया है। ये दोनों पहले विपक्ष का मन टटोल रहे हैं और सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुनाव के लिए कैंडिडेट लाने की कोशिश कर रहे हैं।
गौर करें तो राष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी के पास जीत के लिए पूरे नंबर नहीं हैं। और इसके लिए बीजेपी एनडीए के सदस्यों के अलावा उन पार्टियों के संपर्क में है, जो विपक्षी गुट में शामिल नहीं।
बता दें कि इस चुनाव में बीजेडी पहले ही अपने को इस चुनाव में विपक्ष के साथ नहीं है। वहीं टीआरएस भी विपक्ष की पकड़ से दूर है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष क्या कर पाता है?